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Writing

Stories, poetry and travelogue

इक पत्ता हवा में अटका

इक पत्ता हवा में अटका
आकाश में क्यूँ न भटका
एक जगह पर रुका हुआ
मिट्टी में कैसे ना टपका
धूप पड़ी तो जाना ये तो
मकड़ी के जाले से लटका!


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