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Stories, poetry and travelogue
शाम को मिलना || बाशु को रात को जागना बहुत अच्छा लगता था। पर दादी हमेशा उसे कहतीं कि रात को सोया करते हैं...
रंग बिरंगे || बूढ़ी नानी पहाड़ की चोटी पर बैठती हैं। खूब सारे रंग बिरंगे ऊन के गोले लेकर...
इक पत्ता हवा में अटका || आकाश में क्यूँ न भटका...